उत्तराखण्ड कांग्रेस के दिग्गज नेता दिनेश अग्रवाल आज भाजपा में शामिल हो गए। वह लंबे समय से कांग्रेस में थे। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में उन्हें स्टार प्रचारक भी बनाया था। शनिवार को लंबे गिले-शिकवों के बाद उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया। बता दें कि दिनेश अग्रवाल सात बार विधायक का टिकट पाने, मेयर का टिकट पाने और मंत्री भी रह चुके हैं।
उत्तराखंड में नेताओं का दल बदलकर भाजपा में शामिल होने का दौर लगातार जारी है। भाजपा में अब तक 16000 से अधिक दूसरे दलों के बड़े छोटे नेता शामिल हो चुके हैं। आज फिर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल ने भी अपने कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा प्रदेश मुख्यालय में दिनेश अग्रवाल को जॉइनिंग कराने के लिए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक, कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल और मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल मौजूद रहे। ज्वाइनिंग के बाद दिनेश अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विकास कार्यों से प्रभावित होकर उन्होंने बीजेपी ज्वाइन की है। वहीं बीजेपी अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और पूर्व सीएम निशंक, पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत ने उनका बीजेपी में स्वागत किया।
पूर्व कैबिनेट दिनेश अग्रवाल 1993 और 1996 में उत्तर प्रदेश के समय देहरादून विधानसभा सीट से चुनाव लड़े, लेकिन हरबंस कपूर से हार गए। राज्य बनने के बाद 2002 व 2007 में लगातार दो चुनाव में उन्होंने लक्ष्मण चौक सीट पर नित्यानंद स्वामी को हराया। फिर 2012 में धर्मपुर विधानसभा सीट पर प्रकाश ध्यानी को हराकर विधायक बने। 2017 के चुनाव में वह भाजपा के विनोद चमोली से हार गए। इसके बाद 2018 में मेयर नगर निगम का चुनाव भी हार गए। इन दो हार के बाद से दिनेश अग्रवाल पार्टी में तो रहे, लेकिन उनकी भूमिका ज्यादा प्रभावशाली नहीं थी। पिछले कुछ दिनों से उनके बगावती सुर सुनने को मिलने लगे थे। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पार्टी प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने उन्हें मनाने की पुरजोर कोशिश की लेकिन नाकामयाब रहे। वहीं इसके बाद प्रदेश कांग्रेस की अनुशासन समिति ने पूर्व मंत्री एवं पीसीसी सदस्य दिनेश अग्रवाल और नगर निगम पार्षद राजेश परमार को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते तत्काल प्रभाव से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छह वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया है।